तेरे लिए कुछ इस तरह हम निगाह रखते हैं खुदा के लिए जैसे फकीर चाह रखते हैं आ जाओ न कभी तो हकीकत ऐ ख्याल बनके इक अरसे से हम तुम्हारी सिद्दत से राह तकते हैं ..... मिलाप सिंह भरमौरी
सर्दी में धूप प्यारी और गर्मी में छाया सुख को ही तकती है ये मिट्टी की काया अनुकूलता चाहे कण कण इस जग के पोषण को बिखर जाएंगे टूट टूट के जो है पाले जवर का साया ........ मिलाप सिंह भरमौर...