Nigah

तेरे लिए कुछ इस तरह
हम निगाह रखते हैं

खुदा के लिए जैसे
फकीर चाह रखते हैं

आ जाओ न कभी तो
हकीकत ऐ ख्याल बनके

इक अरसे से हम तुम्हारी
सिद्दत से राह तकते हैं

..... मिलाप सिंह भरमौरी

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