मैं तुझको पाने के सपने देखता हूँ। हर चेहरे में खास अपने देखता हूँ। क्या हकीकत में मिल जाओगे तुम मुझको या यूंही मैं खाव अपने बेचता हूँ । ......... मिलाप सिंह भरमौरी
यह दिल आखिर चाहता क्या है सकून का असली रास्ता क्या है। उसको तो चाहिए बस अपनी ही खुशी तेरे दर्द से उसको वास्ता किया है । नरम लफ्जों में भी जाल घने हैं उसकी मक्कारी को तू जानता ...
वो कहते थे मौहाबत को निभाएगें मर कर भी। जिया जाता है इस जहां में भला डर कर भी। वादा करते थे कभी वो उम्र तक साथ निभाने का पर वक्त क्या बदला देखा ही नहीं हमें मुडकर भी। ....
अपनी गलती का पता चलते ही उसे जल्दी से सुधार लेना चाहिए। क्योंकि आगे चलकर रास्ते ओर भी जटिल हो जाते हैं। ठीक वैसे ही जैसे रात के छोडे हुए बर्तन सुबह कठिनाई से साफ होते हैं । ल...