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Showing posts from November, 2018

छोटे से मन में

छोटे से मन में कितने भाव बच्चे के से सतरंगी चाव। पल- पल पलटे पटल दृष्टि कभी मुक्कमल कभी आगाज़। कितनी प्रचण्ड कितनी शमन तरंगे मन की हो गई खाक। ये उछल कूद है तो करता रहेगा नम ह...

सच कहना

आसान  नहीं  होता  सच  को सच कहना। कितना  कुछ  पड़ता  है भाई इससे सहना। दूर हो  जाते हैं  पोल खुलते ही अपने सब। और तन्हा- सा  पड़ता है  दुनिया  में रहना।            .......... मिलाप सिंह भरम...

Beti beta ek saman

बेटी  - बेटा   एक  समान  यूँ तो लोग  सबके  सामने  कहते  हैं। पर  चोरी  छुपके  टोने -  टोटके न  जाने  क्या - क्या वो करते है। लिंग   भेद   पर  उनकी  दृष्टि से शायद देवों को भी हैर...