छोटे से मन में

छोटे से मन में कितने भाव

बच्चे के से सतरंगी चाव।

पल- पल पलटे पटल दृष्टि


कभी मुक्कमल कभी आगाज़।

कितनी प्रचण्ड कितनी शमन


तरंगे मन की हो गई खाक।

ये उछल कूद है तो करता रहेगा


नम होता रहेगा लेकर ताव।

कल का फिक्र करेंगे कल को


जी लेने दो हमें खुलकर आज।

......... मिलाप सिंह भरमौरी


।।सभी दोस्तों को शुभ प्रभात।।



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