बड़ी जिद्द थी तिनकों की कि तूफ़ान के साथ चलेंगें। अब सन्नाटे से ही सहम गए हैं फुफकार पे क्या करेंगे। एक तरफ है अंगारों का पथ एक तरफ शीतल घाटी। देख रहे हैं पल -पल बेकल जाकर ...
नशा कोई भी हो सरूर आ ही जाता है। उठी हुई नजर में कसूर आ ही जाता है। सच में... हैरान नहीं हूँ कुछ भी मैं तेरे लफ़्ज़ों पर कामयाबी पे सबको गरूर आ ही जाता है। ........ मिलाप सिंह भरमौरी।
दूर रहने का मलाल होता है। बसल का हर लम्हा कमाल होता है। क्या तुम भी रहते हो उदास इस तरह... बिछुड़ के तुमसे मेरा जो हाल होता है। .....… मिलाप सिंह भरमौरी