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Showing posts from January, 2019

क़भी बन के शराबी

कभी  बन के  शराबी  झूमा कर । कभी  पागल  बन भी  घूमा कर। रोज लेता  है धरती पाँव के नीचे कभी  माथे से भी इसे चूमा कर । तू  बाहर  तो  करता  रोज  सफ़ाई कभी साफ दिल का भी कौना कर। रहने...

कुछ पल के साथ

हर बात घूमाना ठीक नहीं कभी सीधी - सी भी कह दो न। कब तक आएं पीछे- पीछे कभी साथ हमारे भी चल दो न। कुछ बातें करेंगें आधी - अधूरी ख़ामोशी -सी कुछ मजबूरी। कुछ पल के साथ की चाहत है कुछ गल...

दुश्मन अपना

दुश्मन  अपना कोई ओर नहीं है। बस खुद पर अपना जोर  नहीं है। औकात  नहीं कोई  आँख दिखाए लेकिन चाटुकारी की होड़ लगी है। बस सूरज से  उसकी  दूरी है इक अगर जग में अंधेरा  घोर कहीं है। ...

रूठ जाते हो

कुछ नहीं दिखता सब धुआँ सा लगता है बहार का मौसम भी खिजा सा लगता है कि रूठा न करो मुुुुझसे छोटी छोटी बातों पर तुम रूठ जाते हो मुझसे तुम तो बहुत बुरा लगता है         ........ मिलाप सिंह भरमौरी