दुश्मन अपना

दुश्मन  अपना कोई ओर नहीं है।
बस खुद पर अपना जोर  नहीं है।

औकात  नहीं कोई  आँख दिखाए
लेकिन चाटुकारी की होड़ लगी है।

बस सूरज से  उसकी  दूरी है इक
अगर जग में अंधेरा  घोर कहीं है।

हक पाना है तो साथ चलना होगा
कहता  इंकलाब  का  शोर यही है।

......... मिलाप सिंह भरमौरी

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