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मुश्किल

धूल जमी हो पर्दे पर तो  उसको झाड़ा जा सकता है। धूमिल पड़ चुकी परिपाटी को  फिर से निखारा जा सकता है। निराश न हो गर गलत हो गया,  शायद तजुर्बा कच्चा था। कुछ भी नहीं मुश्किल है यहाँ...

दूध से धुला

आज तक का तजुर्बा यह बताता है। यहाँ अपनी कमी हर कोई छुपाता है। वंदा कोई न मिलेगा जो हो दूध से धुला, पर हर कोई खुद को दूध सा दिखाता है।।        .......... मिलाप सिंह भरमौरी