मुश्किल


धूल जमी हो पर्दे पर तो 

उसको झाड़ा जा सकता है।



धूमिल पड़ चुकी परिपाटी को 


फिर से निखारा जा सकता है।

निराश न हो गर गलत हो गया, 

शायद तजुर्बा कच्चा था।

कुछ भी नहीं मुश्किल है यहाँ 

यहाँ हर काम सुधारा जा सकता है।

....... मिलाप सिंह भरमौरी

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