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दर्द

जगमगाता जुगुनू है कोई यह सितारा नहीं।  दिशा पल में बदल जाएगी कोई इशारा नहीं । इजाफा जेहन में कर के कुछ रवैया बदले। वरना दर्द तो दुश्मन को भी रब, हमें गवारा नहीं।         ...........मिलाप सिंह भरमौरी

ईमानदारी

भीतर से निकाल के फैंकना पड़ता है। हृदय में छुपा जो छल होता है। ईमानदारी से थोड़ा सा सोच कर देखिए हर समस्या का हल होता है।

लघु कथा

लघु कथा *नेता जी की मक्खियां* किशोर ने अभी पिछले वर्ष ही आई. टी. आई. पास की थी। वह अपने लिए नौकरी की तलाश कर रहा था लेकिन अच्छी नौकरी तो क्या अभी कोई छोटी मोटी नौकरी भी नहीं ढूंढ पाया था। इसलिए जेब खर्च चलाने के लिए अपने गांव में ही कभी कबार मिलने वाली मजदूरी कर लेता था । बीते वर्ष से उसके गांव से कुछ दूरी पर ही एक निजी कम्पनी द्वारा जल विद्युत परियोजना का काम चलाया जा रहा था। उस परियोजना में किशोर के गांव के भी कई लड़के काम कर रहे थे। किसी ने किशोर को सलाह दी कि तुमने भी आई टी आई कर रखी है तू भी वहां पर काम कर ले रोज की दिहाड़ी तो लग जाया करेगी। किशोर ने वहां पर नौकरी के लिए आवेदन कर दिया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ वह वहां भी नौकरी नहीं पा सका। फिर उसने कई लोगों से पता किया कि इस प्रोजेक्ट में नौकरी मिलती कैसे है। पता करने पर मालूम हुआ कि स्थानीय नेता की शिफारिश के बिना इस प्राइवेट प्रोजेक्ट में काम नहीं मिलता।  उस समय वहां का नेता जिला मुख्यालय के रेस्ट हाऊस में ठहरा था। किशोर ने भी अपने सारे सर्टिफिकेट लिए और अगले ही दिन नेता जी से मिलने के लिए निकल पड़ा। पूछते पूछते वह उस रेस्ट ह...

सौहार्द

खूब लडे तुड़वाए सिंग समय - समय पर फिर मारेंगे डिंग। फिर भी मिलकर जोतेगें खेत जिसमें फसलें उगेंगी अनेक। तोड़ी हैं मेंडे गर आज तो खुशहाली भी हम ही लाएंगे। जो आज  देख के खुश हो रहे लड़ाई वो कल हमारे सौहार्द से जल जाएंगे। ......मिलाप सिंह भरमौरी 

अदबात

हर दाव से ज्यादा इक शराफत हमपे भारी है। अदावत करोगे हमसे औकात क्या तुम्हारी है। उसपे असर क्या करेगी बता अंजाम की बातें, जिसने तमाम जिंदगी अपनी इक साईकिल पे गुजारी है। .....मिलाप सिंह भरमौरी 

retirement shayari

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 दिल के गुलशन में फूलों की तरह आबाद रहेंगे। आपकी की कमी से हम भी कुछ तो नाशाद रहेंगे। पर भूल न पाएंगे कभी भी आपकी शक्सियत को जनाब हर घड़ी हर पल  आप हमें याद रहेंगे। .... मिलाप सिंह भरमौरी 

मुश्किल

धूल जमी हो पर्दे पर तो  उसको झाड़ा जा सकता है। धूमिल पड़ चुकी परिपाटी को  फिर से निखारा जा सकता है। निराश न हो गर गलत हो गया,  शायद तजुर्बा कच्चा था। कुछ भी नहीं मुश्किल है यहाँ...