लघु कथा

लघु कथा
*नेता जी की मक्खियां*

किशोर ने अभी पिछले वर्ष ही आई. टी. आई. पास की थी। वह अपने लिए नौकरी की तलाश कर रहा था लेकिन अच्छी नौकरी तो क्या अभी कोई छोटी मोटी नौकरी भी नहीं ढूंढ पाया था। इसलिए जेब खर्च चलाने के लिए अपने गांव में ही कभी कबार मिलने वाली मजदूरी कर लेता था । बीते वर्ष से उसके गांव से कुछ दूरी पर ही एक निजी कम्पनी द्वारा जल विद्युत परियोजना का काम चलाया जा रहा था। उस परियोजना में किशोर के गांव के भी कई लड़के काम कर रहे थे। किसी ने किशोर को सलाह दी कि तुमने भी आई टी आई कर रखी है तू भी वहां पर काम कर ले रोज की दिहाड़ी तो लग जाया करेगी। किशोर ने वहां पर नौकरी के लिए आवेदन कर दिया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ वह वहां भी नौकरी नहीं पा सका। फिर उसने कई लोगों से पता किया कि इस प्रोजेक्ट में नौकरी मिलती कैसे है। पता करने पर मालूम हुआ कि स्थानीय नेता की शिफारिश के बिना इस प्राइवेट प्रोजेक्ट में काम नहीं मिलता।  उस समय वहां का नेता जिला मुख्यालय के रेस्ट हाऊस में ठहरा था। किशोर ने भी अपने सारे सर्टिफिकेट लिए और अगले ही दिन नेता जी से मिलने के लिए निकल पड़ा। पूछते पूछते वह उस रेस्ट हाऊस तक पहुंच गया जहां नेता जी ठहरे थे। हाथ में नौकरी के लिए आवेदन और दिल में अभिलाषा लिए किशोर सीधा कमरे का दरवाजा खोल कर मंत्री जी के पास पहुंच गया। किशोर को अंदर आते देख मंत्री ने अपने पी. ए. को फटकारा अरे दरवाजा बन्द कर के रख मक्खियां बहुत अंदर आ रही है ।उस समय तो किशोर कुछ समझ नहीं पाया। लेकिन वापिसी पर देखा कि कमरे के बाहर तो कोई मक्खी नजर नहीं आ रही  थी। अब वह समझ चुका था कि नेता जी की नजर में मुझ जैसे लोग ही गंंदी मक्खियां हैं।

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