झरोखे से

इक खास खुशबू है
हवा के झोंके में

रह न जाएं हम कहीं
फिर धोखे में

गुजरे होगें जरूर
इस गली से वो

तू बाहर देख उठकर
दिल झरोखे से

----- मिलाप सिंह भरमौरी

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