यह दूरी कब मुझको तुमसे जुदा कर पाती है हर इक पल के बाद तू ही तो याद आ जाती है साथ में होते तो शायद ही रहता इतना ख्याल जिधर भी देखूं मैं तेरी ही तस्वीर बन जाती है ------ मिलाप सिंह भरम...
जब भी शाम होती है इक उम्र तमाम होती है। तेरी याद के सदके में हाथों में जाम होती है। आ जाओ न कभी तो मिट जाए यह खुमारी। कि बिन तेरे जिंदगी अपनी बडी परेशान होती है। ------ मिलाप सिंह भर...
मीठी सी मौहब्बत तीखी सी शरारत सुंदर है पल प्यार के। न न न दिल को जलाए हाँ में अमृत यार के। उजाडती है जो कितनों के घर क्यों बनाई नफरत संसार में। ------- मिलाप सिंह भरमौरी
खाव तेरे हकीकत से कम नहीं हैं गुस्सा तेरा भी मौहब्बत से कम नहीं है। दो पल ही बहुत हैं तुझसे ताल्लुक के सदा के लिए न मिलो तुम गम नहीं है। -------- मिलाप सिंह भरमौरी