भगोड़ा
कोई ज्यादा कोई थोड़ा है।
पर हर शक्श मगर भगौड़ा है।
दौड रहा है पत्थरीली डग पे
फिर भी गरीब का जोड़ा है।
कोई फ़र्ज़ से भाग रहा यहां
कोई बना जहन से घोड़ा है।
भ्रमित कर रहा हर चक्षु को
ये पड़ा कैसा राह में रोडा है।
...... मिलाप सिंह भरमौरी
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