दिल करता है बहुत मेरा पास तुम्हारे आने को भाड में जाए दुनिया सारी आग लगे जमाने को अपने भी अरमान है कुछ साथ तुम्हारे रहने के कब तक खुद से दूर रखूं खुशियों के खजाने को ...... मिलाप स...
छत पे खडा मैं सोच रहा हूँ तु क्या घर पर करती होगी मेरी तरह यूहीं शाम को क्या तु भी छत पर चढती होगी वो भी क्या समय था जब हम कभी रावी किनारे टहलते थे ...
कल रात को सपने में तुमसे मुलाकात हुई थी कुदरत के नजारों के बीच बहुत सारी बात हुई थी हमने रावी के किनारे पे खूब ठहाके मारे थे भीग गए थे अंदर तक प्यार की इतनी बरसात हुई थी ..... मि...
क्यों खाव न देखूं मैं तुझको पाने के तू है ही अलग सच में सारे जमाने से तेरी नजर पडते ही हलचल सी होती है पहेली सी बनती है पलकों को गिराने से तेरा भ्रम मुझको चिढाता है ईशा...
सपनों के चिरागों को बुझने मत देना कि खुद पे अँधेरों को हँसने मत देना तु करना मत अपनी उम्मीदों को विदा हरियाली के पत्तों को झडने मत देना मोड मोड पे आके बाधाएं उलझाएगी लेकिन उ...
तू यादों में आती है जब सामने आ जाता है सब मेरी आँखो में तैरता है तेरे साथ बिताया लम्हा हर पता नहीं क्या खता हुई थी जो बिखर गए वो लम्हें सब ........ मिलाप सिंह भरमौरी