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Showing posts from November, 2015

दिल करता है

दिल करता है बहुत मेरा पास तुम्हारे आने को भाड में जाए दुनिया सारी आग लगे जमाने को अपने भी अरमान है कुछ साथ तुम्हारे रहने के कब तक खुद से दूर रखूं खुशियों के खजाने को ...... मिलाप स...

छत पर

छत  पे  खडा  मैं  सोच  रहा  हूँ तु  क्या  घर  पर  करती  होगी मेरी  तरह  यूहीं  शाम  को  क्या तु  भी  छत  पर  चढती  होगी वो  भी  क्या  समय  था  जब हम कभी  रावी  किनारे  टहलते  थे ...

रावी के किनारे

कल रात को सपने में तुमसे मुलाकात हुई थी कुदरत के नजारों के बीच बहुत सारी बात हुई थी हमने रावी के किनारे पे खूब ठहाके मारे थे भीग गए थे अंदर तक प्यार की इतनी बरसात हुई थी    ..... मि...

क्यों खाव न देखू

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क्यों  खाव  न देखूं मैं  तुझको  पाने के तू है ही अलग  सच  में सारे  जमाने से तेरी नजर पडते ही हलचल सी होती है पहेली सी बनती है पलकों को गिराने से तेरा भ्रम मुझको चिढाता है ईशा...

सपनों के चिराग

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सपनों के चिरागों को बुझने मत देना कि खुद पे अँधेरों को हँसने मत देना तु करना मत अपनी उम्मीदों को विदा हरियाली के पत्तों को झडने मत देना मोड मोड पे आके बाधाएं उलझाएगी लेकिन उ...

सर्दी की धूप

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यादों में

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तू यादों में आती है जब सामने आ जाता है सब मेरी आँखो में तैरता है तेरे साथ बिताया लम्हा हर पता नहीं क्या खता हुई थी जो बिखर गए वो लम्हें सब ........ मिलाप सिंह भरमौरी

इंतजार

रौशन  हुए  चिराग  सभी l जो  बुझे हुए  थे मुद्दत से l मुझको  ही नहीं  इंतजार l इन्हे भी था तेरा सिद्दत से l .....मिलाप  सिंह  भरमौरी