Mohabat kar lun

तुझको अपनी आँखो में भर लूं
जी करता है मौहावत कर लूं
ये पलकों की हरकत क्या कहती है
मैं रूह से तेरे चेहरे को पढ लूं

         ..... मिलाप सिंह भरमौरी

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