Sab tere habale
सब तेरे हवाले कर रखा है
जो भी कर तु तेरी मर्जी
कुछ मांगूगा गर तुमसे तो
वो होगी मेरी खुदगर्जी
बदल के रख दूँ तुफानों को
एेसी भी मैं ढाल नहीं हूँ
पर्वत का सीना चीर के रख दूँ
तिनका हूँ ,कुदाल नहीं हूँ
लीर लीर है भाग्य का पट ये
है तुमसे बडा क्या कोई दर्जी
सब तेरे हवाले कर रखा है
जो भी कर तु तेरी मर्जी
.... मिलाप सिंह भरमौरी
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