कुछ भी कह दो यूंही वो भी राग हो जाते हैं। हुनर अगर पास हो तो पत्थर भी साज हो जाते हैं। हर तरफ कीचड है संभाल के रखना कदम अपने वरना सफेद कपडों में ज्यादा ही दाग हो जाते हैं। तोड दे...
कर लेते हो सबपे यकीन आदत तुम्हारी अच्छी नहीं है। तुने सुनी हैं जो लोगों से, वो बातें तमाम सच्ची नहीं हैं। खफा खफा रहते हो क्यों ,तुम फिर से करीब आओ न दूरी तुम्हारी इस कद्र ,न ज...
सूरज से खफा हूँ आजकल जल्दी छुप जाता है। घर पहुंचने से पहले ही गुप अँधेरा हो जाता है। सुनसान रास्तों की अजीब सी दहशत है। इन पर अकेले चलने से मन बहुत घबराता है। कभी कभी दिल करत...
उडकर कहां जाओगे पेड की डाल से। आकर्षण बहुत गहरा है उलझन की जाल में । प्यासा सा है मन और भूख भी बढी सी है। पुलाव बहुत पकते हैं सब लेकिन बस ख्याल में। ....... मिलाप सिंह भरमौरी