उलझन

उडकर कहां जाओगे
पेड की डाल से।

आकर्षण बहुत गहरा है
उलझन की जाल में ।

प्यासा सा है मन और
भूख भी बढी सी है।

पुलाव बहुत पकते हैं
सब लेकिन बस ख्याल में।

....... मिलाप सिंह भरमौरी

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