पत्थर भी साज हो जाते हैं
कुछ भी कह दो यूंही वो भी राग हो जाते हैं।
हुनर अगर पास हो तो पत्थर भी साज हो जाते हैं।
हर तरफ कीचड है संभाल के रखना कदम अपने
वरना सफेद कपडों में ज्यादा ही दाग हो जाते हैं।
तोड देती हैं दिल को बातें संग लफ्जों की अकसर
बंद हौंठों से मगर हर इरादे राज हो जाते हैं।
सोचता हूँ छोड दूं लिखना और फाड दूं इन पन्नों को
मेरे लिखने से कई दोस्त मेरे नाराज हो जाते हैं।
.......... मिलाप सिंह भरमौरी
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