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Showing posts from December, 2015

नीर

नीर निरंतर नदी का बहता l पल पल में है इक पल घटता ll तरह तरह की आवाजें हैं l पपीहा पेड पे क्या है रटता ll वक्त को देखा आईने में तो l मन ही मन में मन है डरता ll गर्माईश कुछ तीखी सी है l अाग में क...

रूप की

तू है राहत रूह की l लगती है मीठी धूप सी ll कुदरत का सरमाया है l ये गागर तेरे रूप की ll पर गहराई कैसे मापूं मैं l वक्त के अँधे कूप की ll सच बहुत रोया है तन्हा l तारीफ सुनी जब झूठ की ll ..... मिलाप सि...

अँगडाई

अम्बर की ऊंचाई जैसी l समुंदर की गहराई जैसी ll तू मुझमे शामिल है l साथ मेरे परछाई जैसी ll कभी कभी ही दिखती है l लगती है सच्चाई जैसी ll सच में सुंदर लगती है l तान तेरी अँगडाई जैसी ll ..... मिलाप स...

याद

आँखो की नमी कम होती ही नहीं हर पल याद आते हो ऐसा लगता है तुम हो यहीं कहीं       ......मिलाप सिंह भरमौरी

नाज

सच्चे झूठे कितने खाव कभी अँगीठी कभी अलाव पुंज बिखेरे तारे कितने मांगे कोई मन्नत का ताज आधी रात को सन्नाटा है मन में है कोई उसके राज वक्त के साय में हलचल है बजा रहा है वो कैसा ...

मनाते रहेंगे

तेरी मोहाब्त से दुनिया सजाते रहेंगे काफिला अपनी बफाओं का बनाते रहेंगे सित्तम चाहे कर ले वो कितने भी हम पे चाहत को यूहीं अपनी हम निभाते रहेंगे टुटेगी कैसे यह खुमारी जहन से ...

बात हुई

नजरों की नजरों से जब बात हुई,,,,,,l खबर न रही कोई कब दिन से रात हुई दोस्ती हो गई फिर बहारों से अपनी,,,,l चांद सितारों की संग हमारे बारात हुई l ओर ज्यादा जीने को जी करता है,,,,,l कितनी प्यारी स...