मनाते रहेंगे

तेरी मोहाब्त से दुनिया सजाते रहेंगे
काफिला अपनी बफाओं का बनाते रहेंगे

सित्तम चाहे कर ले वो कितने भी हम पे
चाहत को यूहीं अपनी हम निभाते रहेंगे

टुटेगी कैसे यह खुमारी जहन से
गर शर्मा के यूहीं वो पलके गिराते रहेंगे

मौका तो मिले कभी हमें भी रूठने का
कब तक तुम्हे हम आखिर मनाते रहेंगे

                 .... मिलाप सिंह भरमौरी

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