अँगडाई

अम्बर की ऊंचाई जैसी l
समुंदर की गहराई जैसी ll

तू मुझमे शामिल है l
साथ मेरे परछाई जैसी ll

कभी कभी ही दिखती है l
लगती है सच्चाई जैसी ll

सच में सुंदर लगती है l
तान तेरी अँगडाई जैसी ll

..... मिलाप सिंह भरमौरी

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