हर बात पे सोचा करते हो
हर बात पे सोचा करते हो।
क्यों जज़्बात को रोका करते हो।
कोई करता है तुमपे गौर यहां
किस दुनिया में तुम रहते हो।
तपती हुई सी रेत है हरसू
क्या पानी बनकर बहते हो।
पार करोगे कैसे अंधियारा
जब परछाई से भी डरते हो।
...... मिलाप सिंह भरमौरी
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