खंजर
जब तू मुझसे दूर होती है
तो ओर भी सुंदर लगती है
तुझको ही सोचता रहता हूँ
तू जैसे कोई मंदिर लगती है
तेरे प्यार की ठंडक आ जाती है
फिर तपते हुए सहरा में
महसूस करते ही बन जाती है फूल
वरना हर घडी कोई खंजर लगती है
---------- मिलाप सिंह भरमौरी
जब तू मुझसे दूर होती है
तो ओर भी सुंदर लगती है
तुझको ही सोचता रहता हूँ
तू जैसे कोई मंदिर लगती है
तेरे प्यार की ठंडक आ जाती है
फिर तपते हुए सहरा में
महसूस करते ही बन जाती है फूल
वरना हर घडी कोई खंजर लगती है
---------- मिलाप सिंह भरमौरी
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