प्यार का नशा
तुझसे बात करूँ मैं कैसे
कई दिनों से सोच रहा हूँ
तेरे सामने कुछ कह नहीं पाता
खावों में सब कुछ बोल रहा हूँ
तेरे प्यार की मस्ती का मुझपे
चढा हुआ है यह कैसा नशा
थोडी पी लूँ तो क्या हो जाए सोच
जो बिना पिए ही डोल रहा हूँ
------- मिलाप सिंह भरमौरी
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