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Showing posts from August, 2015

जी हुजूरी

दिया है कम तो उसकी भी मजबूरी होगी। किसी ओर की जरूरत तुमसे भी जरूरी होगी। वो तोलता है जरूरत को तराजू में रखकर। मत सोच उसकी ज्यादा तुमसे जी हुजूरी होगी।              ------- मिलाप सि...

उनके एक खाव से

उनके एक खाव से खुशियाँ हजार आती हैं मन के कोने कोने में कलियां निखार पाती हैं लफ्जों में जिक्र मुश्किल है उनकी हर अदा का उनके मुस्कुराने से दिल में बहार आती है ------ मिलाप सिंह ...

मजबूर हूँ तेरी आदत से

हँस के कुछ तो राहत दे डूबा हूँ तेरी चाहत में आ जाता हूँ यूंही तेरी गली में मजबूर हूँ तेरी आदत से ------ मिलाप सिंह भरमौरी

मैं हूँ रेत सहरा की

चुभता है इस दिल में कुछ तीखा सा खंजर सा कम कैसे हो पाएगा फर्क धरती और अंबर सा तन्हाई में जा कर के इसलिए मैं रो लेता हूँ कि मैं हूँ रेत किसी सहरा की और तू है मोती समंदर का ------ मिलाप ...

यह उम्मीद भी

यह उम्मीद भी कितनी प्यारी है सौ बोतल षकी इसमें खुमारी है तुझको शायद कुछ पता नहीं है और यह कहती है कि तू हमारी है -------- मिलाप सिंह भरमौरी

बदल गई हाथों की रेखा

बदल गई हाथों की रेखा जबसे हमने तुमको देखा किस्मत अपनी चमक उठे गर बन जाए अपना तेरे जैसा ----- मिलाप सिंह भरमौरी

तू आ रही है

तू आ रही है दूर से ही इक खुशबू सी आ जाती है तेरी आहट दिल के दरवाजे को तस्सवुर से ही छू जाती है जैसे जन्नत की बहार होती है जब तक तू मेरे साथ होती है तेरे बिछुड जाने के पल जैसे सहरा ...

पाल पोष कर बडा किया

पाल पोष कर बडा किया बाप मेहनत मजदूरी से पढा रहा है और देखो इस नालायक को बाजार में लडकियों के पीछे मार खा रहा है ------------ मिलाप सिंह भरमौरी

तमाशे की तरह

तमाशे की तरह दिखना क्या अनमोल होकर कोडी के भाव बिकना क्या अरे इज्जत से रहो सबको इज्जत देकर यूहीं छेडख़ानी करके सरे बाजार पिटना क्या              -------- मिलाप सिंह भरमौरी

यह सोच कर

यह सोच कर मैं जहर पिए जा रहा हूँ तेरे सितम का कि गर इलजाम तुझको दूंगा तो भी रुसवाई मेरी ही होगी।                  ------- मिलाप सिंह भरमौरी

बहुत सुंदर है तू

बहुत सुंदर है तू प्यारी है जैसे फूलों की इक क्यारी है तेरे होने से ही तो सच में दिल का धडकना जारी है ----- मिलाप सिंह भरमौरी

मौहब्बत तो बहुत है

मौहब्बत तो बहुत है उनसे पर बताएं कैसे किस कद्र करते हैं कदर उनकी दिल दिखाएं कैसे जी तो करता है कि कर दें ब्यान सब जो भी दिल तन्हाई में कहता है पर इक पर्दा सा गिरा है रुसवाई का इ...

नदी किनारे बैठ के

मैं नदी किनारे बैठ के सोचूँ कितनी ही सुंदर है मेरी जान। पानी की लहरें तो कुछ भी नहीं है इनसे तो सुंदर है तेरी मुस्कान। ------- मिलाप सिंह भरमौरी

Ik aas hai

इक आस है तुझसे मिलने की। दुख -सुख  दिल  के कहने की।। छोड  के  तेरी ठंडी  छाया को। जो  देती  है  हिम्मत जलने की।। ------- मिलाप सिंह भरमौरी

हर बात अलग

हर  बात  अलग  है  तेरी हर  अंदाज  अलग  है  तेरा । तु  औझल  है तो गुप  अंधियारा  है तेरा  दर्शन  है  मेरा  सबेरा।। ------- मिलाप सिंह भरमौरी