नदी किनारे बैठ के

मैं नदी किनारे बैठ के सोचूँ
कितनी ही सुंदर है मेरी जान।
पानी की लहरें तो कुछ भी नहीं है
इनसे तो सुंदर है तेरी मुस्कान।

------- मिलाप सिंह भरमौरी

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