यह सोच कर

यह सोच कर मैं जहर पिए जा रहा हूँ तेरे सितम का कि
गर इलजाम तुझको दूंगा तो भी रुसवाई मेरी ही
होगी।

                 ------- मिलाप सिंह भरमौरी

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