छोटे से मन में कितने भाव बच्चे के से सतरंगी चाव। पल- पल पलटे पटल दृष्टि कभी मुक्कमल कभी आगाज़। कितनी प्रचण्ड कितनी शमन तरंगे मन की हो गई खाक। ये उछल कूद है तो करता रहेगा नम ह...
आसान नहीं होता सच को सच कहना। कितना कुछ पड़ता है भाई इससे सहना। दूर हो जाते हैं पोल खुलते ही अपने सब। और तन्हा- सा पड़ता है दुनिया में रहना। .......... मिलाप सिंह भरम...
बेटी - बेटा एक समान यूँ तो लोग सबके सामने कहते हैं। पर चोरी छुपके टोने - टोटके न जाने क्या - क्या वो करते है। लिंग भेद पर उनकी दृष्टि से शायद देवों को भी हैर...
मीठी- सी मुस्कान तेरी बहुत तंग करती है। क्या हैं मायने इसके जहन में जंग करती है। तेरा मिल जाना रोज राहों में इत्तफाक भी हो सकता है। मगर यह ख्वाहिश यूँही मोहब्बत के रंग भरती ...
ऐ दिल सुन कुछ सोचा भी है कहने से पहले। या यूंही बकवास प्रवचन दिया है। भई बातें करना तो बडा आसान है पर क्या कभी खुद पर भी अमल किया है। ........ मिलाप सिंह भरमौरी
कोई ज्यादा कोई थोड़ा है। पर हर शक्श मगर भगौड़ा है। दौड रहा है पत्थरीली डग पे फिर भी गरीब का जोड़ा है। कोई फ़र्ज़ से भाग रहा यहां कोई बना जहन से घोड़ा है। भ्रमित कर रहा हर चक...
हर बात पे सोचा करते हो। क्यों जज़्बात को रोका करते हो। कोई करता है तुमपे गौर यहां किस दुनिया में तुम रहते हो। तपती हुई सी रेत है हरसू क्या पानी बनकर बहते हो। पार करोगे कैसे ...
हर वक़्त यूं ही न सोचा करो। कभी मन को भी टोका करो। अनदेखे हुए कल के खातिर अपने आज से न धोखा करो। जहां जो भी है बस आज है तुम बर्बाद न यह मौका करो। सबक कई हैं अगल -बगल में इन्हें द...
पता नहीं क्यों हर पल घडी पे आँखें रहती हैं। काम नहीं है कोई भी फिर भी जल्दी रहती है । ट्रेन छूटी तो बस से भागे दौड रहा है आगे आगे पता नहीं किस मोड पे मेरी मंजिल रहती है । बाद...
अभ्यास करो या बदल लो काम। पर खाली बैठना है यह हराम । गर मंजिल नहीं मिले तो क्या है संघर्ष ही जीवन का है नाम । हार नहीं कह सकते हैं उसको कोशिश की जब तक हो न शाम। कोशिश कर ओर कोशिश कर भटक न पाए मंजिल से ध्यान ..... मिलाप सिंह भरमौरी
कुदरत का मन मैला है। जो खूब कुहासा फैला। पथिक चला है बोझा उठाए हाथ में भी इक थैला है। कहां-कहां की धुंद से निपठू कुत्ता बनकर किसपे झपटूं कोई एसी कार में जाए मजदूर के हिस्से स...