राहत का मकाम

मुस्कुराहट तेरे होठों की
दिल को छू जाती है
खामोशी तेरे चेहरे की
अंदर तक रुलाती है
बहुत ढूंढ लिया सुकून को
जगह जगह पर जाकर के
पर राहत के मकाम की
तुझ तक ही राह जाती है

..... मिलाप सिंह भरमौरी

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