परेशान

चर्चे तेरी बुलंदियों के आम हैं।
तेरी इक झलक के लिए शहर जाम हैं।
दुश्मनों की तो हम बात मानते हैं।
लेकिन ये कुछ दोस्त भी क्यों परेशान हैं।

   ......... मिलाप सिंह भरमौरी

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