बेकल

बड़ी जिद्द थी तिनकों की

कि तूफ़ान के साथ चलेंगें।

अब सन्नाटे से ही सहम गए हैं


फुफकार पे क्या करेंगे।

एक तरफ है अंगारों का पथ


एक तरफ शीतल घाटी।

देख  रहे  हैं पल -पल बेकल


जाकर  किस  ओर गिरेंगे।

-------मिलाप सिंह भरमौरी

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