मत लडो दोस्तो आपस में
मत लडो दोस्तो आपस में।
पेच बडे हैं सियासत में।
उनको न कोई फर्क पडेगा
क्यों फसते हो खुद आफत में।
अपने काम से काम रखो
बदलाब करो थोडा आदत में।
कोई भी न काम आएगा
छोड जाएंगे तेरी ही हालत में।
इनसे न कोई आस रखो
पाओ मंजिल अपनी ताकत से।
मत लडो दोस्तो आपस में।
पेच बडे हैं सियासत में।
....... मिलाप सिंह भरमौरी
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