शक का बादल

        यूंही तो नहीं चलती है हवा।
       कहीं न कहीं तो फर्क है बना।

          रिश्तों में प्यार न बरसेगा
       शक का जहां बादल है घना।

       झुकने के सिबा कुछ भी नहीं
        ऐ दिल मगरूर क्या है तना।

        सोने के तन को चिंता होगी
       अपना क्या मिट्टी का है बना।

              ....... मिलाप सिंह भरमौरी

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