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भज

रस्ता कब कहता चल मुझ पर तू ईश्वर कब कहता भज मुझको तू मंजिल को पाने के लिए खुद चलना पडता है अवसाद मिटाने के लिए उसको भजना पडता है ..... मिलाप सिंह भरमौरी शुभ संध्या दोस्तो ......

Khoon ka rista

छोड दिया था सबको तेरे खातिर..., लगा बैठा खून के रिश्तों को ठोकर l अब दौलत क्या गई तु भी छोड गई , अंजाम तो ऐसा ही होना था आखिर..l     ........ मिलाप सिंह भरमौरी

Nigah

तेरे लिए कुछ इस तरह हम निगाह रखते हैं खुदा के लिए जैसे फकीर चाह रखते हैं आ जाओ न कभी तो हकीकत ऐ ख्याल बनके इक अरसे से हम तुम्हारी सिद्दत से राह तकते हैं ..... मिलाप सिंह भरमौरी

Dhoop

सर्दी में धूप प्यारी और गर्मी में छाया सुख को ही तकती है ये मिट्टी की काया अनुकूलता चाहे कण कण इस जग के पोषण को बिखर जाएंगे टूट टूट के जो है पाले जवर का साया ........ मिलाप सिंह भरमौर...

नीर

नीर निरंतर नदी का बहता l पल पल में है इक पल घटता ll तरह तरह की आवाजें हैं l पपीहा पेड पे क्या है रटता ll वक्त को देखा आईने में तो l मन ही मन में मन है डरता ll गर्माईश कुछ तीखी सी है l अाग में क...

रूप की

तू है राहत रूह की l लगती है मीठी धूप सी ll कुदरत का सरमाया है l ये गागर तेरे रूप की ll पर गहराई कैसे मापूं मैं l वक्त के अँधे कूप की ll सच बहुत रोया है तन्हा l तारीफ सुनी जब झूठ की ll ..... मिलाप सि...

अँगडाई

अम्बर की ऊंचाई जैसी l समुंदर की गहराई जैसी ll तू मुझमे शामिल है l साथ मेरे परछाई जैसी ll कभी कभी ही दिखती है l लगती है सच्चाई जैसी ll सच में सुंदर लगती है l तान तेरी अँगडाई जैसी ll ..... मिलाप स...