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क़भी बन के शराबी

कभी  बन के  शराबी  झूमा कर । कभी  पागल  बन भी  घूमा कर। रोज लेता  है धरती पाँव के नीचे कभी  माथे से भी इसे चूमा कर । तू  बाहर  तो  करता  रोज  सफ़ाई कभी साफ दिल का भी कौना कर। रहने...

कुछ पल के साथ

हर बात घूमाना ठीक नहीं कभी सीधी - सी भी कह दो न। कब तक आएं पीछे- पीछे कभी साथ हमारे भी चल दो न। कुछ बातें करेंगें आधी - अधूरी ख़ामोशी -सी कुछ मजबूरी। कुछ पल के साथ की चाहत है कुछ गल...

दुश्मन अपना

दुश्मन  अपना कोई ओर नहीं है। बस खुद पर अपना जोर  नहीं है। औकात  नहीं कोई  आँख दिखाए लेकिन चाटुकारी की होड़ लगी है। बस सूरज से  उसकी  दूरी है इक अगर जग में अंधेरा  घोर कहीं है। ...

रूठ जाते हो

कुछ नहीं दिखता सब धुआँ सा लगता है बहार का मौसम भी खिजा सा लगता है कि रूठा न करो मुुुुझसे छोटी छोटी बातों पर तुम रूठ जाते हो मुझसे तुम तो बहुत बुरा लगता है         ........ मिलाप सिंह भरमौरी

बस का किराया

तेल के दाम बढ़कर घट गए  हुआ ऐसा कई बार। पर बस का किराया कभी घटा न बढ़ गया जो एक बार।। ........ मिलाप सिंह भरमौरी

छोटे से मन में

छोटे से मन में कितने भाव बच्चे के से सतरंगी चाव। पल- पल पलटे पटल दृष्टि कभी मुक्कमल कभी आगाज़। कितनी प्रचण्ड कितनी शमन तरंगे मन की हो गई खाक। ये उछल कूद है तो करता रहेगा नम ह...

सच कहना

आसान  नहीं  होता  सच  को सच कहना। कितना  कुछ  पड़ता  है भाई इससे सहना। दूर हो  जाते हैं  पोल खुलते ही अपने सब। और तन्हा- सा  पड़ता है  दुनिया  में रहना।            .......... मिलाप सिंह भरम...