Rooth jate hai

कहने को तो बस वो
हमसे रूठ जाते हैं

उन्हें क्या पता इससे
कितने हम टूट जाते हैं

नफरत सी होने लगती है
हर शय से हमें

जीने के  खाव सभी
जैसे मन से ही छूट जाते हैं

----- मिलाप सिंह भरमौरी

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