रोज सोचता हूँ मैं
कभी तो तुम सवाल पूछोगे
किसी बात के मसले पर
मेरा भी ख्याल पुछोगे
अजनबी से भी मिलते हो
बडी खुलूसीयत सले तुम
मिलोगे कल मुझसे जब तो
क्या मेरा भी हाल पुछोगे
हर दाव से ज्यादा इक शराफत हमपे भारी है। अदावत करोगे हमसे औकात क्या तुम्हारी है। उसपे असर क्या करेगी बता अंजाम की बातें, जिसने तमाम जिंदगी अपनी इक साईकिल पे गुजारी है। .....मिलाप सिंह भरमौरी
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