रख कर हाथ रुखसारों पर
रख कर हाथ रुखसारों पर
मेरी याद में खोए होंगे ।
अंबर से इक बूँद गिरी है
शायद वो वहाँ रोए होंगे ।
गवारा न था हमसे बिछुडना
पल भर भी इक तन्हा रहना ।
मेरे बिन उस उजली छत पर
कैसे वो तन्हा सोए होंगे ।
------ मिलाप सिंह भरमौरी
रख कर हाथ रुखसारों पर
मेरी याद में खोए होंगे ।
अंबर से इक बूँद गिरी है
शायद वो वहाँ रोए होंगे ।
गवारा न था हमसे बिछुडना
पल भर भी इक तन्हा रहना ।
मेरे बिन उस उजली छत पर
कैसे वो तन्हा सोए होंगे ।
------ मिलाप सिंह भरमौरी
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