गर्मी में

सूरज ने अब पकड बनाई
हर ओर मची है त्राहि- त्राहि

बदन हुआ पसीने से गीला
अंदर बाहर हरसूं गर्मी छाई ।

नदी -नाले सब सूख रहे हैं
पशु पक्षियों की शामत आई ।

कूलर पंखे सब फेल हो रहे
गर्म लग रही पेडों की परछाई ।

मैदानों को जलते देखा जब
पहाडों की बहुत ही याद आई ।

   - - - मिलाप सिंह भरमौरी

Comments

Popular posts from this blog

Najar ka asar

सौहार्द