खूशबू की बौछारे
इक पुडिया है खावो की बंद
खुल जाए तो क्या क्या हो जाए
किस्मत अपनी जाग उठे
सारे गम सहरा में सो जाएँ
खत्म हो जाए आंख मिचौली
दिल में अपने दिल खो जाए
बरसे हरसूं खूशबू की बौछारे
हर मौसम हरियाली हो जाए
----- मिलाप सिंह भरमौरी
इक पुडिया है खावो की बंद
खुल जाए तो क्या क्या हो जाए
किस्मत अपनी जाग उठे
सारे गम सहरा में सो जाएँ
खत्म हो जाए आंख मिचौली
दिल में अपने दिल खो जाए
बरसे हरसूं खूशबू की बौछारे
हर मौसम हरियाली हो जाए
----- मिलाप सिंह भरमौरी
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